ठप्पांकित सिक्का- १९३३२
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गुप्त – समुद्रगुप्त, वीणाधारी प्रकार
गुप्त वंश के राजाओं ने पाटलीपुत्र को अपनी राजधानी बनाया। इस काल के सिक्के अपनी सुंदर बनावट के लिए जाने जाते हैं।
गुप्त काल के शुरू के सिक्के कुषाण शैली से प्रभावित थे, पर बाद में उनकी अपनी विशिष्ट विषय-वस्तु और शैली विकसित होती चली गई। अपने बहुमुखी व्यक्तित्व पर गौरव महसूस करते हुए गुप्त वंश के राजाओं ने सिक्कों पर अपना शौर्य और कला-प्रेम दर्शाने वाली छवियां अंकित करवाई और आलेख के लिए काव्यात्मक संस्कृत भाषा का प्रयोग किया। पुराने सिक्कों पर यूनानी देवी-देवताओं की जगह भारतीय देवी-देवताओं की छवियां डाली जाने लगीं। उदाहरण के लिए, धन-संपदा की यूनानी देवी आरदोक्षो की जगह लक्ष्मी की छवि का प्रयोग किया जाने लगा।
चौथी से छटी शताब्दी ईस्वी
सोने के सिक्के
19332
छवि और पाठ © ट्रस्टी, छत्रपति शिवाजी महाराज वस्तु संग्रहालय, मुंबई, 2023
Where you'll find this
Chhatrapati Shivaji Maharaj Vastu Sangrahalaya, CSMVS Museum, Mumbai, India
Permanent collection